वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट Shiv chaisa से मोहि आन उबारो॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। more info ध्यान पूर्वक होम करावे ॥